7th Pay Commission : कर्मचारियों की पेंशन को लेकर बदल गए पैमाने, अब ऐसे होगी बढ़ोतरी

7th Pay Commission : भारत में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों के निर्धारण के लिए वेतन आयोग का गठन किया जाता है।

7वें वेतन आयोग की स्थापना फरवरी 2014 में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा की गई थी, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर ने की थी। इस आयोग ने नवंबर 2015 में अपनी रिपोर्ट सौंपी और इसकी सिफारिशें जनवरी 2016 से लागू की गईं। इस लेख में हम 7वें वेतन आयोग की प्रमुख सिफारिशों, उनके प्रभावों और वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

स्वतंत्र भारत में पहला वेतन आयोग 1946 में गठित किया गया था, और तब से लगभग हर 10 वर्ष में एक नया वेतन आयोग बनाया जाता रहा है।

इन आयोगों का प्राथमिक उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा करना और उन्हें समय के अनुसार संशोधित करना है, ताकि महंगाई और बदलती आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप कर्मचारियों का जीवन स्तर बना रहे।

प्रत्येक वेतन आयोग ने अपने समय की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार सिफारिशें की हैं।

7वां वेतन आयोग इस मायने में विशेष था कि इसने न केवल वेतन संरचना में बदलाव किए, बल्कि वेतन निर्धारण की पूरी प्रणाली को ही बदल दिया।

7वें वेतन आयोग की प्रमुख सिफारिशें

वेतन संरचना में परिवर्तन

7वें वेतन आयोग ने 6ठे वेतन आयोग द्वारा शुरू किए गए ग्रेड पे सिस्टम को समाप्त कर वेतन मैट्रिक्स सिस्टम की शुरुआत की। इस नई प्रणाली में:

  • 18 वेतन स्तर (पे लेवल) बनाए गए
  • प्रत्येक स्तर में कई सेल हैं, जो वार्षिक वेतन वृद्धि दर्शाते हैं
  • न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया
  • अधिकतम वेतन (कैबिनेट सचिव स्तर) 2,50,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया

इस प्रकार पुरानी वेतन संरचना और नई वेतन मैट्रिक्स के बीच तुलना इस प्रकार है:

वेतन आयोगन्यूनतम वेतनअधिकतम वेतनवेतनमान अनुपात
6ठा वेतन आयोग7,000 रुपये90,000 रुपये1:12.9
7वां वेतन आयोग18,000 रुपये2,50,000 रुपये1:13.9

फिटमेंट फैक्टर

पुराने वेतनमान से नए वेतनमान में परिवर्तन के लिए 2.57 का फिटमेंट फैक्टर निर्धारित किया गया। इसका अर्थ है कि:

  • मूल वेतन + ग्रेड पे × 2.57 = नया मूल वेतन
  • इसके अतिरिक्त, नए वेतनमान में निकटतम सेल में फिटिंग की जाती है

महंगाई भत्ते में परिवर्तन

महंगाई भत्ता (डीए) की गणना के लिए आधार वर्ष 2001 के स्थान पर 2016 को आधार वर्ष माना गया। इसके अनुसार:

  • 1 जनवरी 2016 को महंगाई भत्ता शून्य से शुरू हुआ
  • हर 4 अंक की वृद्धि पर डीए में 3% की बढ़ोतरी होती है
  • वर्तमान में, महंगाई भत्ता 42% है (जुलाई 2023 से)

अन्य भत्तों में परिवर्तन

7वें वेतन आयोग ने विभिन्न भत्तों की भी समीक्षा की और उनमें संशोधन किए। प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित हैं:

  • मकान किराया भत्ता (HRA): X, Y और Z श्रेणी के शहरों के लिए क्रमशः 24%, 16% और 8% (मूल वेतन का)
  • परिवहन भत्ता (TA): सभी कर्मचारियों के लिए 1,800 रुपये प्रतिमाह
  • बच्चों की शिक्षा भत्ता: 2,250 रुपये प्रति बच्चा प्रति माह (अधिकतम 2 बच्चों के लिए)
  • विशेष भत्ता (सिविल कर्मचारियों के लिए): R&H अधिकारियों के समकक्ष

पेंशन में परिवर्तन

पेंशन के संबंध में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए:

  • पेंशन का न्यूनतम स्तर 9,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया
  • अधिकतम पेंशन 1,25,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित की गई
  • पारिवारिक पेंशन मूल पेंशन का 30% से 60% के बीच (सेवा काल के आधार पर)
  • अतिरिक्त पेंशन 80 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनरों के लिए (5% से 100% तक)

7वें वेतन आयोग के प्रभाव

आर्थिक प्रभाव

7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से सरकारी कर्मचारियों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इसके प्रमुख आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • वेतन और पेंशन पर सरकार का वार्षिक व्यय लगभग 1.02 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया
  • केंद्रीय कर्मचारियों की क्रय शक्ति में 16% से 20% तक की वृद्धि हुई
  • अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता मांग बढ़ी, विशेष रूप से वाहन, आवास और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में
  • वित्तीय वर्ष 2016-17 में राजकोषीय घाटे पर अतिरिक्त 0.65% का दबाव पड़ा

सामाजिक प्रभाव

वेतन आयोग की सिफारिशों का सामाजिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण रहा:

  • सरकारी नौकरियों की आकर्षकता बढ़ी, जिससे प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हुई
  • सरकारी और निजी क्षेत्र के वेतन के बीच का अंतर कम हुआ
  • सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार हुआ
  • ग्रामीण क्षेत्रों में धन प्रवाह बढ़ा, क्योंकि कई सरकारी कर्मचारी अपने गांवों में परिवार को आर्थिक सहायता भेजते हैं

7वें वेतन आयोग के बाद के विकास

महंगाई भत्ते में नियमित वृद्धि

7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद से, महंगाई भत्ते में नियमित रूप से वृद्धि की गई है:

  • जुलाई 2016: 2%
  • जनवरी 2017: 4%
  • जुलाई 2017: 5%
  • जनवरी 2018: 7%
  • जुलाई 2018: 9%
  • जनवरी 2019: 12%
  • जुलाई 2019: 17%
  • जनवरी 2020: 21%

कोविड-19 महामारी के कारण, अप्रैल 2020 से जून 2021 तक महंगाई भत्ते में वृद्धि पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद:

  • जुलाई 2021: 28%
  • जनवरी 2022: 31%
  • जुलाई 2022: 34%
  • जनवरी 2023: 38%
  • जुलाई 2023: 42%

एरियर्स का भुगतान

7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को पूर्वव्यापी प्रभाव से 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया था। हालांकि, एरियर्स का भुगतान निम्नलिखित तरीके से किया गया:

  • 40% एरियर्स का भुगतान वित्तीय वर्ष 2016-17 में किया गया
  • शेष 60% का भुगतान वित्तीय वर्ष 2017-18 में किया गया
  • रक्षा कर्मियों को एक साथ पूरा एरियर्स भुगतान किया गया

फिटनेस और परफॉर्मेंस आधारित वेतन वृद्धि

7वें वेतन आयोग ने प्रदर्शन आधारित वेतन वृद्धि की अवधारणा पर भी जोर दिया। इसके तहत:

  • वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (APAR) का महत्व बढ़ाया गया
  • “असाधारण” और “बहुत अच्छा” रेटिंग वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त वेतन वृद्धि
  • “औसत” या “औसत से नीचे” रेटिंग वाले कर्मचारियों की वेतन वृद्धि पर प्रतिबंध

8वें वेतन आयोग की संभावनाएँ

परंपरागत रूप से, हर 10 वर्ष बाद नए वेतन आयोग का गठन किया जाता है। इस हिसाब से 8वें वेतन आयोग का गठन 2026 में होना चाहिए और इसकी सिफारिशें 2026 से लागू होनी चाहिए। हालांकि, वर्तमान में इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु विचारणीय हैं:

न्यूनतम वेतन में वृद्धि की मांग

विभिन्न कर्मचारी संगठन 7वें वेतन आयोग द्वारा निर्धारित 18,000 रुपये के न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 26,000 रुपये करने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि:

  • महंगाई में निरंतर वृद्धि हो रही है
  • 7वें वेतन आयोग ने आहार, आवास, कपड़े आदि की मूल जरूरतों के आधार पर न्यूनतम वेतन की गणना की थी
  • वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में यह वेतन अपर्याप्त है

फिटमेंट फैक्टर में बदलाव की मांग

कर्मचारी संगठनों का यह भी कहना है कि 2.57 का फिटमेंट फैक्टर अपर्याप्त है और इसे बढ़ाकर 3.68 किया जाना चाहिए। इसके पीछे उनका तर्क है:

  • वास्तविक महंगाई वृद्धि के अनुसार यह फैक्टर कम है
  • पिछले वेतन आयोगों की तुलना में यह फिटमेंट फैक्टर कम है
  • वेतन संशोधन के बीच का अंतर अब 10 वर्ष से अधिक हो गया है

नई पेंशन योजना में संशोधन

नई पेंशन योजना (NPS) में निम्नलिखित संशोधनों की मांग की जा रही है:

  • सरकार का योगदान 10% से बढ़ाकर 14% किया जाए
  • कर्मचारी का अनिवार्य योगदान 10% से घटाकर 5% किया जाए
  • NPS से निकासी पर कर छूट प्रदान की जाए
  • कुछ संगठन पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग भी कर रहे हैं

वर्तमान स्थिति

वर्तमान में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन और भत्ते मिल रहे हैं। महंगाई भत्ता वर्तमान में 42% है (जुलाई 2023 से), जो मूल वेतन का लगभग आधा है।

कई राज्य सरकारों ने भी अपने कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाया है, हालांकि कुछ राज्यों में इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। विभिन्न राज्यों की स्थिति इस प्रकार है:

  • पूर्ण रूप से लागू: महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु
  • आंशिक रूप से लागू: बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश
  • अभी तक लागू नहीं: पश्चिम बंगाल, केरल, तेलंगाना

प्रमुख बिंदु

  1. आधारभूत परिवर्तन: 7वें वेतन आयोग ने ग्रेड पे सिस्टम से वेतन मैट्रिक्स सिस्टम में बदलाव किया।
  2. न्यूनतम-अधिकतम वेतन: न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये और अधिकतम वेतन 2,50,000 रुपये निर्धारित किया गया।
  3. फिटमेंट फैक्टर: पुराने से नए वेतनमान में परिवर्तन के लिए 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया।
  4. महंगाई भत्ता: 2016 को आधार वर्ष मानकर, हर 4 अंक वृद्धि पर 3% की दर से डीए बढ़ता है।
  5. वित्तीय प्रभाव: सरकार पर वार्षिक 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा।
  6. कर्मचारी मांगें: न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये और फिटमेंट फैक्टर 3.68 की मांग की जा रही है।
  7. 8वां वेतन आयोग: परंपरागत रूप से 2026 में गठित होना चाहिए, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

7th Pay Commission निष्कर्ष

7वें वेतन आयोग ने भारत के सरकारी कर्मचारियों के वेतन और सेवा शर्तों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए।

इसने न केवल वेतन संरचना को बदला, बल्कि कर्मचारियों के प्रदर्शन और दक्षता पर भी जोर दिया। इन परिवर्तनों ने सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार किया है और सरकारी नौकरियों की आकर्षकता बढ़ाई है।

हालांकि, बढ़ती महंगाई और आर्थिक चुनौतियों के बीच कई कर्मचारी संगठन अभी भी अधिक वेतन और बेहतर लाभों की मांग कर रहे हैं।

आने वाले वर्षों में, सरकार को इन मांगों और राजकोषीय संतुलन के बीच सही समन्वय बिठाना होगा।

7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के प्रभाव और अनुभवों के आधार पर, भविष्य में 8वें वेतन आयोग का गठन और उसकी सिफारिशें निश्चित रूप से और भी अधिक महत्वपूर्ण होंगी, क्योंकि वे न केवल सरकारी कर्मचारियों के वेतन और सेवा शर्तों को प्रभावित करेंगी, बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था और रोजगार बाजार पर भी अपना प्रभाव डालेंगी।

Also read this :

Redmi K50i 5G – 5080 mAh Battery and 64MP main camera

Leave a Comment